Thursday, 8 May 2025

High Court ने झारखण्ड सरकार को क्यों फटकार लगाई ?


मैं  इस पोस्ट के माध्यम से झारखण्ड में शिक्षा और स्कूल की क्या  स्तिथि है ये उजागर करने जा रहा हु।  आप सभी से आग्रह है की इस पोस्ट को पूरा पढ़े और झारखण्ड सरकार की शिक्षा विभाग की स्तिथि को समझे और अपना राय कमेंट करे | 


High Court

झारखंड हाई कोर्ट ने स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाई है और कहा है कि 2 से 3 महीने के अंदर सभी खाली पदों पर नियुक्तियां की जाएं, ताकि अगले शैक्षणिक सत्र में बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। यह निर्देश मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान दिया।

मुख्य न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की पीठ सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर Jean Dreze द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह भी अदालत में मौजूद थे।


मै सभी को बताना चाहता कि Jean Dreze हमारे देश के नहीं है | उसके बावजुद उन्हें पता है की झारखण्ड में शिक्षा की क्या स्तिथि है यहाँ teachers की कितनी कमी है | दुख इस बात की है कि हम सभी झारखण्ड वासियों को पता ही नहीं की क्या चल रहा है | हम झारखंडियों के पास इतना time भी नहीं है की हम इस बारे में कभी सोचे | 

मै  Jean Dreze का सुक्रिया करता हु की उन्होंने PIL Court में डाला नहीं तो ये अधिकारी और हमारे राज्य के नेता पता नहीं क्या करते | 


शिक्षा विभाग ने 8 अप्रैल को कोर्ट को बताया था कि 26,000 शिक्षकों की नियुक्ति जल्द की जाएगी, जिसमें पारदर्शिता और समयबद्ध प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। इसके बाद कोर्ट ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) से नियुक्ति प्रक्रिया की समयसीमा स्पष्ट करने को कहा था। JSSC ने 11 अप्रैल को दायर हलफनामे में बताया कि कुरमाली, हो और पंचपरगनिया जैसी कुछ भाषाओं की परीक्षाएं अभी तक नहीं हुई हैं। आयोग ने कहा कि नियुक्ति प्रक्रिया जनवरी 2026 तक पूरी कर ली जाएगी।

हाईकोर्ट में दायर कई याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य में हजारों स्कूल ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक पढ़ा रहा है। याचिकाओं में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत हर स्कूल में कम से कम 2 शिक्षक और 30 बच्चों पर एक शिक्षक होना अनिवार्य है। लेकिन राज्य में इन नियमों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।

बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 के अनुसार, प्राथमिक विद्यालयों में प्रत्येक 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए, और प्रत्येक विद्यालय में कम से कम दो शिक्षक होने चाहिए। इन मानदंडों के अनुसार, झारखंड में लगभग एक लाख प्राथमिक विद्यालय शिक्षक होने चाहिए। हालाँकि, वर्तमान संख्या केवल 35,000 के आसपास है, जो अकेले प्राथमिक स्तर पर 60,000 से अधिक शिक्षकों की कमी को दर्शाता है।


मुझे ये समझ नहीं आता की जब 1,00,000 teachers की आवश्यकता है तो 35,000 ही कैसे काम चल रहा है | इसका मतलब सरकार को कुछ खबर ही नहीं या सरकार नागरिको को कुछ बताना ही नहीं चाहती की क्या चल रहा है | ये बहुत बड़ी समस्या है कि हम लोग ऐसे ही सरकार को चुनते है | और हमारे युवा बेरोजगार बने रहते है | 

हमारे देश में एक ACT है शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (Right to Education Act, 2009) जो 1st April 2010 से लागू है इस Act के अनुसार 6 से 14 साल के बच्चे को निशुल्क शिक्षा दिया जाना है, जिसके लिए नामांकन, उपस्थिति और शिक्षा की पूर्णता सुनिश्चित करना सरकार द्वारा अनिवार्य है।  इस कानून में ये भी है की प्रत्येक सरकारी स्कूल में कम से कम 2 शिक्षक का होना अनिवार्य है और हर 30 विद्यार्थी में 1 शिक्षक होना भी अनिवार्य है |

लेकिन इस विषय में हमारा एक प्रश्न है, कि यदि स्कूल में 1st  से 5th कक्षाएं है तो 2 शिक्षक उसे कैसे पढ़ा सकते है |

यहाँ भी कुछ ऐसा ही मालूम पड़ता है की हम लोग अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में वैसे ही भेजते है केवल नाम के लिए की हा मेरा बच्चा स्कूल जाता है | लेकिन वहाँ क्या करता है क्या पढ़ता इससे हमें कोई मतलब ही नहीं होता | 

मेरा सिर्फ यही कहना है की सरकार को आप चुनते हो अच्छी शिक्षा (Education), अच्छी चिकित्शा (health) की वयवस्था के लिए लेकिन यही दोनों चीजे है जो किसी भी जरुरत मंद को अच्छी नहीं मिलती | 


हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में आदेश दिया है कि राज्य सरकार प्लस टू स्कूलों में जनजातीय व अन्य भाषा के लिए स्वीकृत 1373 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया 3 माह के अंदर पूरी करे | तालेश्वर महतो की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया गया | सुनवाई के दौरान शिक्षा सचिव भी कोर्ट में मौजूद थे | सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने कहा कि नियुक्ति की नियमावली बन रही है, इसमें करीब 6 माह का समय लग सकता है | इसके बाद ही इसे नियुक्ति के लिए जेएसएससी को भेजा जाएगा. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले ही काफी विलंब हो चुका है| अगली सुनवाई 22 जुलाई को तय की गई है|


अब देखते है, 22 जुलाई को क्या फैसला आता है | 

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